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शिकायतों के बावजूद नहीं हटे अतिक्रमण, मानसून में बढ़ेगी परेशानी, अवैध निर्माण से संकट गहराया


Nilesh Yadav
25-05-2025 07:01 PM
जीवनदायिनी नदियों-नालों पर कब्जा, जलभराव और बाढ़ का खतरा मंडराया
खैरागढ़ – क्षेत्र की जीवनदायिनी नदियों और नालों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। गांवों और शहरों में इन जल स्रोतों पर लगातार हो रहे अवैध कब्जों ने न केवल प्राकृतिक जल प्रवाह को बाधित किया है, बल्कि आगामी मानसून में बाढ़ और जलभराव जैसी गंभीर समस्याओं की आशंका भी बढ़ा दी है। खैरागढ़ और आसपास के गांवों से होकर गुजरने वाली छोटी-बड़ी नदियों तथा प्राकृतिक नालों के किनारे अतिक्रमणकारियों ने धीरे-धीरे कब्जा जमा लिया है। कहीं पक्के निर्माण कर लिए गए हैं, तो कहीं खेतों का विस्तार नाले की सीमा तक कर दिया गया है। इससे जल निकासी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
नदियों-नालों के सिकुड़ने से केवल सतही जल प्रवाह ही नहीं रुका है, बल्कि इसका असर भूजल स्तर पर भी देखने को मिल रहा है। जिन जल स्रोतों से पानी जमीन में रिसता था, वहां अब कंक्रीट और मलबा जमा हो गया है। इससे वर्षा जल संचयन की प्रक्रिया भी बाधित हो रही है। शिकायतों के बावजूद अवैध कब्जों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता सावन सोनी ने बताया कि संबंधित विभागों को स्थिति की जानकारी है, परंतु रसूखदार अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई का साहस कोई नहीं जुटा पा रहा। इसका नतीजा यह है कि हर साल बारिश के दौरान गांवों और शहर के मोहल्लों में पानी भर जाता है और आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
दाऊचौरा के पास आमनेर नदी के तट पर अवैध निर्माण कर लिया गया है। वार्ड के कई निवासी पूर्व में बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। यदि जून के अंत तक मानसून आने से पहले नदियों और नालों की सफाई और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो हालात और भी भयावह हो सकते हैं।
जल संसाधन विभाग के सूत्रों के अनुसार कुछ स्थलों की पहचान की जा चुकी है, जहां अतिक्रमण से जल प्रवाह प्रभावित हो रहा है। लेकिन कार्रवाई के लिए राजस्व विभाग और पुलिस की सहायता आवश्यक है, जो अब तक नहीं मिल पाई है।
खैरागढ़ की नदियां और नाले जो कभी जीवनदायिनी थे, आज संकट में हैं। यदि समय रहते इनका मूल स्वरूप बहाल नहीं किया गया, तो मानसून में यह संकट जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित करेगा। सामाजिक संगठनों और जागरूक नागरिकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि मानसून से पहले सभी जल स्रोतों की साफ-सफाई कराई जाए और अतिक्रमण हटाया जाए। साथ ही, सीमांकन की प्रक्रिया को भी तेज करने की आवश्यकता है।
स्थानीय विधायक और नगर परिषद अब तक इस मुद्दे पर मौन हैं। नगरवासियों का आरोप है कि अतिक्रमण करने वाले कई लोग राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं, इसलिए कार्रवाई को जानबूझकर टाला जा रहा है।
ग्राम पंचायतों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। कई जगहों पर शिकायतों को नजरअंदाज किया गया, तो कहीं सरपंच-सचिव की मिलीभगत से अवैध कब्जों को बढ़ावा मिला।
नगर पालिका सीएमओ नरेश वर्मा ने कहा कि क्षेत्र में अतिक्रमण की समस्या तो है, लेकिन अब तक कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है। जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
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