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खैरागढ़ महोत्सव में भ्रष्टाचार! गुरु-शिष्य परंपरा के नाम पर शोषण, विवि छात्रों में शराब, गांजा, सिगरेट की लत, लगातार बढ़ रही लिव इन रिलेशन संस्कृति।


Nilesh Yadav
02-04-2025 12:19 PM
खैरागढ़ : देश के प्रतिष्ठित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की साख पर एक बार फिर दाग लगा है। कला संकाय के डीन और नाट्य विभाग के प्रमुख प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र चौबे पर छेड़खानी के आरोप में मामला दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया है। विश्वविद्यालय की एक छात्रा द्वारा लगाए गए इन आरोपों पर राष्ट्रीय महिला आयोग के हस्तक्षेप के बाद कार्रवाई की गई। यह मामला कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी डिजाइनिंग विभाग के प्रोफेसर बैंकट रमन मुड़े के खिलाफ इसी तरह का मामला दर्ज किया गया था, जो अब न्यायालय में लंबित है। वहीं, ओडीसी विभाग के एक अन्य प्रोफेसर पर अश्लील वीडियो बनाने के आरोप लगे थे, लेकिन उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पिछले दस वर्षों में ऐसे तीन गंभीर मामले सामने आ चुके हैं, जिससे विश्वविद्यालय की छवि धूमिल हुई है।
विवि में बढ़ती अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार
विश्वविद्यालय में केवल यौन शोषण के मामले ही नहीं, बल्कि नियुक्तियों में भ्रष्टाचार, निर्माण कार्यों में गड़बड़ी, राशन सामग्री की हेराफेरी और खैरागढ़ महोत्सव में अनियमितताओं के भी गंभीर आरोप हैं। एक-दूसरे के विरुद्ध फर्जी शिकायतें दर्ज कराने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है, जिससे शिक्षा का माहौल प्रभावित हो रहा है।
बदलते सामाजिक परिदृश्य और नैतिक पतन
शहर के पॉश इलाकों में रहने वाले छात्र-छात्राएं किराये के मकानों में बेधड़क लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। मकान मालिक किराये के लालच में इस पर कोई रोक-टोक नहीं लगा रहे हैं। देर रात तक कला बैठकों और संगीत महफिलों के आयोजन आम हो गए हैं, जिनमें छात्रों के साथ विश्वविद्यालय के कुछ शिक्षक भी शामिल होते हैं। इसके चलते रात में विश्वविद्यालय परिसर और शहर के कुछ इलाकों में असामाजिक गतिविधियां बढ़ रही हैं।
गुरु-शिष्य परंपरा के नाम पर शोषण
गुरु-शिष्य परंपरा की आड़ में छात्रों का शोषण भी एक गंभीर विषय बन गया है। छात्रों से निजी कार्य करवाने, पीएचडी डिग्री दिलाने के बदले महंगे उपहार लेने जैसी शिकायतें आम हो चुकी हैं। विश्वविद्यालय में प्रैक्टिकल अंकों का प्रभाव अधिक होने के कारण कई छात्र प्रोफेसरों को प्रसन्न करने के लिए उन्हें महंगे उपहार तक देते हैं।
छात्रों में बढ़ती नशे की लत
विश्वविद्यालय में नशे की प्रवृत्ति भी गंभीर चिंता का विषय है। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं शराब, गांजा, सिगरेट और अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करते देखे जा सकते हैं। विश्वविद्यालय परिसर और आसपास के कई होटलों के पीछे छात्रों का नशे में लिप्त रहना अब आम दृश्य बन चुका है। कुछ शिक्षकों की भी इसमें संलिप्तता की चर्चा होती रही है, जिससे कक्षाओं में पढ़ाई का माहौल प्रभावित हुआ है।
सुधार के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत
विश्वविद्यालय में बढ़ती अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और नैतिक गिरावट को रोकने के लिए प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। गुरु-शिष्य परंपरा की गरिमा बनाए रखने, शिक्षा के स्तर को सुधारने और छात्रों के नैतिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन को ठोस नीतियां अपनानी होंगी। साथ ही, नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने के लिए विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है। यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो यह विश्वविद्यालय की साख को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
शैक्षणिक गिरावट: अकादमिक कुलपति की नियुक्ति आवश्यक
विगत कई वर्षों से इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में अकादमिक पृष्ठभूमि से कुलपति की नियुक्ति नहीं होने के कारण शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया दिसंबर 2024 में पूर्ण कर ली गई थी, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी है। अकादमिक कुलपति के अभाव में विश्वविद्यालय में प्रशासनिक नियंत्रण की कमी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। पूर्व में जब विश्वविद्यालय का नेतृत्व शैक्षणिक विशेषज्ञों के हाथों में था, तब इसे ए ग्रेड प्राप्त हुआ था। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में, पूर्णकालिक एवं अकादमिक दृष्टिकोण रखने वाले कुलपति के अभाव के कारण विश्वविद्यालय का स्तर सी ग्रेड तक गिर गया है। यदि शीघ्र ही योग्य एवं अकादमिक दृष्टि से सक्षम कुलपति की नियुक्ति की जाती है, तो विश्वविद्यालय के शैक्षिक और प्रशासनिक ढांचे में सुधार की संभावनाएँ बढ़ सकती हैं। अतः विश्वविद्यालय प्रशासन और संबंधित प्राधिकरणों को इस विषय में शीघ्र निर्णय लेना चाहिए ताकि संस्थान की प्रतिष्ठा एवं शैक्षिक गुणवत्ता पुनः सुदृढ़ हो सके।
Comments (1)
Bhuwneshwar Belsariya
Bahut sari baato ko bda chada k ni likhna chahiye tha. Sbhi bache aise ni hote aur room malik and kla ka mahol bhai wo kitne prectice krte hai sirf jo kla sadhak hai wo jante hai. Kuchh log mahol gnda kr rahe h to kya pura khairagarh badnam ho jayega. Aisa likhoge apna news ko bdane k liye a galat hai. Pahale puri jankari sahi lo phir likha karo .
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