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समस्या समाधान के वादों पर टिका सुशासन तिहार: ढाबा शिविर में 5800 आवेदन, लेकिन क्या हर गांव तक पहुँचेगी विकास की रोशनी?


Nilesh Yadav
28-05-2025 06:57 PM
खैरागढ़ : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशा के अनुरूप चल रहे सुशासन तिहार के तीसरे और अंतिम चरण के अंतर्गत बुधवार को विकासखंड छुईखदान के ग्राम ढाबा में समाधान शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में ज़िला और जनपद स्तर के जनप्रतिनिधियों की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिनमें जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती प्रियंका ताम्रकार, उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह, पूर्व विधायक कोमल जंघेल सहित अन्य जनप्रतिनिधि और अधिकारी मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत छत्तीसगढ़ महतारी की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ हुई, इसके बाद जनप्रतिनिधियों ने राज्य सरकार की योजनाओं और सुशासन प्रयासों का बखान किया। जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री गांव-गांव पहुंचकर स्वयं विकास कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं। इससे लोगों में विश्वास बढ़ा है कि सरकार अब फाइलों से निकलकर मैदान में आ चुकी है।
लेकिन इस तस्वीर का दूसरा पहलू भी सामने आया—5800 से अधिक नए आवेदन इन शिविरों में अब तक प्राप्त हो चुके हैं। इसका मतलब है कि समस्याएं आज भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रेमकुमार पटेल ने जानकारी दी कि इन आवेदनों का निपटारा एक माह के भीतर करने का लक्ष्य तय किया गया है। हालांकि, यह भी साफ़ है कि जनता की समस्याओं का ढेर आज भी शासन-प्रशासन के सामने चुनौती बना हुआ है।
प्रशासन द्वारा प्रत्येक शिविर में समाधान काउंटर स्थापित किए गए हैं, जहाँ आम नागरिक यह जान सकते हैं कि उनके आवेदन पर क्या कार्रवाई हुई है। यह एक सराहनीय पहल है, लेकिन सवाल यह भी है कि क्या समाधान काउंटर से समाधान तक की दूरी सचमुच तय हो पाएगी?
शिविर में विभिन्न विभागों—कृषि, श्रम, महिला एवं बाल विकास, उद्यानिकी, मत्स्य, स्वास्थ्य और पंचायत विभाग—द्वारा हितग्राहियों को योजनाओं का लाभ प्रदान किया गया। परंतु, यह लाभ अभी भी सीमित संख्या तक ही पहुँच पाया है।
इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष श्रीमती पुष्पा वर्मा, उपाध्यक्ष राजू पटेल, एसडीएम अविनाश ठाकुर, जनपद सीईओ रवि कुमार सहित सभी क्लस्टर के सरपंच और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
सरकार के सुशासन तिहार की मंशा प्रशंसनीय है, लेकिन जब हजारों आवेदन एक ही चरण में सामने आते हैं तो यह सवाल भी उठता है कि विकास अब तक कहाँ अटका था? अगर सरकार की योजनाएँ सही ढंग से ज़मीन पर पहले से काम कर रही होतीं, तो इतनी बड़ी संख्या में आवेदन क्यों आते?
कुल मिलाकर, सुशासन तिहार समाधान के प्रयासों के साथ-साथ शासन की पिछली खामियों को भी उजागर कर रहा है। अब देखना यह है कि ये शिविर सिर्फ़ आश्वासनों के शिविर बनकर न रह जाएं, बल्कि समस्याओं का स्थायी समाधान बनकर उभरें।
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