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Khairagarh
जनपद में डीएससी घोटाला: 114 सरपंचों से 3000-3000 रुपये की अवैध वसूली, रसीद तक नहीं दी गई।


Nilesh Yadav
30-05-2025 06:39 AM
कांग्रेस नेताओं ने जांच की उठाई मांग, अफसरों की भूमिका पर सवाल।
खैरागढ़। जनपद पंचायत खैरागढ़ में भ्रष्टाचार का नया मामला सामने आ रहा है। डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) के नाम पर जनपद के अधिकारियों ने 114 सरपंचों से प्रति व्यक्ति 3000 रुपये की वसूली कर ली। यह वसूली न केवल निर्धारित दर से अधिक थी, बल्कि किसी प्रकार की रसीद या अधिकृत दस्तावेज भी नहीं दिया गया। जनपद की सामान्य सभा में इस मुद्दे को सदस्य सरस्वती सन्त्री यदु ने उठाया, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने जवाब देने से कन्नी काट ली और मामले को दबाने की कोशिश की गई।
पसंदीदा एजेंसी को दिया गया काम, नियमानुसार सरपंच स्वतंत्र
सूत्रों के मुताबिक, जनपद कार्यालय में एक विशेष एजेंसी को बुलाकर सभी सरपंचों से डीएससी बनवाने को कहा गया। जबकि नियमानुसार कोई भी सरपंच अधिकृत एजेंसी से स्वतंत्र रूप से यह कार्य करवा सकता है। डीएससी की अधिकतम दर जहां 2000 रुपये है, वहीं जनपद ने 3000 रुपये वसूले। इस तरह करीब 3.42 लाख रुपये की वसूली हुई, जबकि वास्तविक लागत 2 लाख रुपये से भी कम है। यानि 1.42 लाख रुपये की सीधी-सीधी अनियमितता सामने आई है।
सोशल मीडिया पर मैसेज कर बुलाया गया सरपंचों को
मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब पता चला कि 18 मार्च और 23 अप्रैल को सरपंचों के वाट्सएप ग्रुप में जनपदकर्मियों द्वारा मैसेज कर डीएससी बनवाने के निर्देश दिए गए। इसमें आधार, पैन और मोबाइल नंबर लेकर जनपद कार्यालय पहुंचने को कहा गया। एक संदेश में तो कुछ पंचायतों के नाम लेकर करारोपण अधिकारी से डीएससी प्राप्त करने की बात भी कही गई। यह दर्शाता है कि पूरी प्रक्रिया पूर्व नियोजित थी।
जिला प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
इस गंभीर मामले पर जिला प्रशासन की चुप्पी ने संदेह को और गहरा कर दिया है। किसी भी स्तर पर जांच या जिम्मेदारी तय करने की कोशिश अब तक नहीं हुई है। जानकारों का मानना है कि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार को उच्चस्तरीय संरक्षण प्राप्त है, और इसे दबाने की कोशिश की जा रही है।
सरपंच बोले - न एजेंसी का नाम बताया, न रसीद दी
ईटार के सरपंच ओमप्रकाश झा, चिचका के गौतम साहू और मुहडबरी के राकेश वर्मा समेत कई सरपंचों ने स्वीकार किया कि उन्होंने जनपद कार्यालय में डीएससी बनवाया और 3000 रुपये भुगतान किए, लेकिन उन्हें न तो एजेंसी का नाम बताया गया, न ही कोई रसीद दी गई।
विपक्ष ने की जांच की मांग, कार्रवाई का दबाव
कांग्रेस नेता व जनपद सदस्य आकाशदीप गोल्डी ने कहा कि आगामी सामान्य सभा में इस मामले की जांच के लिए समिति गठित करने का प्रस्ताव लाया जाएगा। उन्होंने इसे भाजपा शासन में प्रशासनिक भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की।
सभापति का बयान उलझा मामला और ज्यादा
जब यह मामला सभा में उठा तो अधिकारियों के बजाय जनपद सभापति शैलेन्द्र मिश्रा ने सफाई दी और कहा कि डीएससी का चार्ज 2500 रुपये है। जबकि कंप्यूटर सेवाओं से जुड़े विशेषज्ञ सुरेन्द्र जैन और मनीष वर्मा का कहना है कि किसी भी क्लास की डीएससी 2000 रुपये से अधिक में नहीं बनती। इससे यह सवाल भी खड़ा होता है कि तकनीकी और वित्तीय विषय में अधिकारी क्यों मौन रहे और जवाब सभापति क्यों दे रहे हैं?
जानकारी लेकर बताऊंगा - उपसंचालक का बयान
जब इस संबंध में जिला पंचायत केसीजी उप संचालक गीत कुमार सिन्हा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, "इस विषय पर जानकारी लेकर ही कुछ कह पाऊंगा।"
क्या ये मामला भी अन्य फाइलों की तरह धूल फांकता रहेगा या सरपंचों से वसूले गए इस 1.42 लाख के गबन पर कोई सख्त कार्रवाई होगी?
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