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पद्मा की कुंडलिया : डॉ. पद्मा साहू पर्वणी को तीसरी बार गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज मिली नई उपलब्धि


Nilesh Yadav
14-05-2025 06:00 PM
खैरागढ़ । छत्तीसगढ़ की साहित्यिक धरती एक बार फिर साक्षी बनी जब वृंदावन हॉल में आयोजित भव्य समारोह में दो महत्वपूर्ण कृतियों का विमोचन हुआ। इस मौके पर डॉ. इंद्राणी साहू सांची, डॉ. पद्मा साहू पर्वणी एवं डॉ. निरामणी श्रीवास 'नियति' द्वारा संपादित छंदबद्ध वृहद हिंदी व्याकरण नामक विश्वस्तरीय पद्य संकलन के साथ-साथ डॉ. पद्मा साहू पर्वणी की चौथी एकल कृति पद्मा की कुंडलिया का विमोचन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. पीसी लाल यादव रहे तथा अध्यक्षता राष्ट्रीय कवि संगम छत्तीसगढ़ प्रांत इकाई के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा 'बाबूजी', सुप्रसिद्ध समीक्षक अरुण कुमार निगम, गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की संवाददाता डॉ. सोनल राजेश शर्मा, राष्ट्रीय महामंत्री महेश शर्मा एवं साहित्यसेवी कमल शर्मा की गरिमामयी उपस्थिति रही।
200 कुंडलियों का संग्रह, भावों की बहुरंगी छटा
पद्मा की कुंडलिया में कुल 200 कुंडलियों का संग्रह है, जिसमें जीवन के विविध रंग, समाज की सच्चाइयाँ, सांस्कृतिक चेतना, स्त्री विमर्श, प्रकृति प्रेम, राष्ट्रभक्ति जैसे विविध भावों को छंदबद्ध रूप में पिरोया गया है। इस संग्रह की समीक्षात्मक चर्चा प्रख्यात साहित्यकारा डॉ. गीता विश्वकर्मा 'नेह' द्वारा की गई, जिसमें उन्होंने पुस्तक की गहन संवेदना, विषय वैविध्य एवं छांदस सौंदर्य की सराहना की।
इस अवसर पर डॉ. पद्मा साहू पर्वणी को तीसरी बार गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया, जिससे कार्यक्रम की गरिमा और बढ़ गई। उनके रचनात्मक अवदान को देशभर के साहित्यप्रेमियों और शिक्षाजगत से जुड़े लोगों ने मुक्त कंठ से सराहा।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों से साहित्यकारों की भागीदारी उल्लेखनीय रही। मुंबई से राजकुमार छापरिया, भोपाल से माधुरी दुबे, राजस्थान से सुरेखा खरे, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सियाराम साहू, रामनाथ साहू 'ननकी', दूजराम साहू, केशव साहू, कविता जैन, ओंकार साहू, नरेंद्र देव शक्ति, लक्ष्मीकांत वैष्णव, गुलशन सहित अनेक रचनाकार एवं बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. पद्मा की रचनाशीलता और समर्पण को प्रेरणादायी बताया।
डॉ. पद्मा साहू पर्वणी अपनी लेखनी के माध्यम से देश, समाज और विद्यार्थियों के लिए सतत कार्य कर रही हैं। उनकी लेखनी सामाजिक बदलाव, नारी सशक्तिकरण और सांस्कृतिक चेतना का मजबूत माध्यम बन चुकी है। उनकी अब तक प्रकाशित कृतियों ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी है।
कार्यक्रम का संचालन कुशलता पूर्वक किया गया तथा समापन पर डॉ. पद्मा ने सभी अतिथियों, समीक्षकों, पाठकों और परिजनों के प्रति आभार प्रकट किया।
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