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विभागीय प्रताड़ना से टूट गई आरती, सीएचओ ने फांसी लगाकर दी जान - पति की मौत के बाद भी नहीं मिली इंसानियत की मोहलत

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Khairagarh

विभागीय प्रताड़ना से टूट गई आरती, सीएचओ ने फांसी लगाकर दी जान - पति की मौत के बाद भी नहीं मिली इंसानियत की मोहलत

Nilesh Yadav

17-05-2025 01:41 PM

खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले के जंगलपुर स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। यहां पदस्थ सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) श्रीमती आरती यादव ने विभागीय प्रताड़ना और निजी जीवन के गहरे संकट से टूटकर आत्महत्या कर ली। एक महीने पहले सड़क हादसे में पति को खो चुकी आरती, अपने पीछे महज एक साल की मासूम बच्ची को छोड़ गई।

दर्द की दास्तां: पति की मौत, छुट्टी न मंजूर, फंड और वेतन भी रोके

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरती यादव ने पति की मृत्यु के बाद अवकाश के लिए गुहार लगाई थी, लेकिन विभागीय मशीनरी की बेरुखी ने उसकी भावनाओं को अनदेखा कर दिया। दुर्ग से दूर जंगलपुर के स्वास्थ्य केंद्र में वह अकेले रहकर सेवाएं देती रही। न कोई सहकर्मी, न कोई मदद। वहीं, केंद्र बंद होने की शिकायत पर उच्चाधिकारियों ने सुशासन त्योहार के नाम पर मानसिक दबाव और प्रताड़ना बढ़ा दी।

विभाग ने न सिर्फ उसका एक महीने का वेतन और तीन महीने की कार्य आधारित राशि रोकी, बल्कि स्वास्थ्य केंद्र के संचालन हेतु आवश्यक फंड भी बंद कर दिया। स्थानांतरण की गुहार भी अनसुनी रह गई। हाल ही में जारी टास्क ऑफ रेस्पॉन्सिबिलिटी (टीओआर) ने सारी जिम्मेदारियाँ उसी पर डाल दी। चार लोगों का काम अकेले करने का दबाव और ऊपर से वेतन कटौती की धमकी ने उसकी उम्मीदें छीन लीं।

संघ का फूटा गुस्सा: महिला स्वास्थ्य कर्मियों पर प्रताड़ना के 26 मामले

इस घटना के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ सहित राज्य एनएचएम कर्मचारी संघ में रोष व्याप्त है। संघ के प्रांताध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि प्रदेश में कार्यरत 3,500 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी आक्रोशित हैं। महिला स्वास्थ्य कर्मियों पर विभागीय प्रताड़ना के 26 मामले सामने आ चुके हैं। इसके विरोध में संघ ने स्वास्थ्य मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री और मिशन संचालक को ज्ञापन सौंपा है। यदि शीघ्र कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो प्रदेशव्यापी आंदोलन की चेतावनी दी गई है।

तीन साल में पाँच आत्महत्याएं: संविदा शोषण से टूट रही ज़िंदगियाँ

यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते तीन वर्षों में कार्यदबाव और संविदा शोषण से तंग आकर पाँच सीएचओ अपनी जान गंवा चुके हैं। संघों ने इसे व्यवस्था की हार करार देते हुए मांग की है कि महिला स्वास्थ्य कर्मियों को मानसिक स्वास्थ्य सहायता, समुचित कार्यभार और संविदा शोषण से सुरक्षा दी जाए।


Nilesh Yadav

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