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सरकारी पैसे से सूखा बोर! देवरी पंचायत में लाखों का खेल, फिर भी गाँव प्यासा - निजी ज़मीन पर दो बार बोर, सचिव-सरपंच पर उठे सवाल


Nilesh Yadav
05-07-2025 03:38 PM
खैरागढ़। देवरी ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम सरकतराई में पानी की प्यास बुझाने के नाम पर जनपद निधि से लाखों रुपये फूंक दिए गए लेकिन गाँव के हिस्से में आई सिर्फ़ मायूसी और सूखा बोर। चौंकाने वाली बात यह है कि यह बोरवेल गाँव की सार्वजनिक ज़मीन पर नहीं बल्कि प्रभावशाली लोगों की निजी ज़मीन पर खुदवाए गए -और वह भी दो-दो बार! अब इस पूरे घोटाले की आँच पंचायत सचिव नाजनीन नियाज़ी और तत्कालीन सरपंच केजराराम साहू तक पहुँच गई है। उधर ग्रामीणों ने कलेक्टर को शिकायत सौंपकर उच्च स्तरीय जाँच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है। वर्ष 2022-23 में गाँव की प्यास बुझाने के नाम पर ₹1 लाख 55 हजार की राशि जनपद निधि से स्वीकृत हुई थी। प्रस्ताव में कहा गया कि बोर खनन खसरा नंबर 258 पर होगा। मगर हक़ीक़त में यह ज़मीन 258/1 और 258/2 के रूप में बँट चुकी थी और दोनों निजी स्वामित्व में थीं। परिणामस्वरूप खुदाई के बाद भी पानी नहीं निकला यानी पहला बोर सूखा निकला। इसके बावजूद पंचायत ने सबक नहीं सीखा। ग्रामीणों की मौखिक सहमति का हवाला देकर दूसरा बोर खसरा नंबर 318/2 पर खुदवा दिया जो किसी और की नहीं बल्कि तत्कालीन जनपद सदस्य मंजू धुर्वे की निजी ज़मीन निकली। सरकारी पैसे से दो बार निजी ज़मीन पर बोर और गाँव की प्यास वैसे की वैसे बनी रही। ग्रामीणों का आरोप है कि इस पूरे खेल में पंचायत सचिव और तत्कालीन सरपंच की मिलीभगत से नियमों को ताक पर रखकर सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया।
छत्तीसगढ़ भूजल (प्रबंधन एवं विनियमन) अधिनियम 2022 के अनुसार इस तरह के बोर खनन के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुमति और वैधानिक करार अनिवार्य है लेकिन इस मामले में कोई कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। तीन साल बाद भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। गाँव के नाम पर पैसा स्वीकृत कराया लेकिन बोर खुदवाया निजी ज़मीन पर और अब गाँव के हिस्से में आया सिर्फ़ धोखा शिकायतकर्ता मंदीप सिंह चौरे ने कलेक्टर को दिए आवेदन में कहा।
उधर पंचायत सचिव नाजनीन नियाज़ी का कहना है कि बोर खनन ग्रामवासियों की सहमति से ही कराया गया और पूर्व जनपद सदस्य मंजू धुर्वे ने ज़मीन दान में दी है जिसे वर्तमान में प्राइवेट माना जा सकता है। सचिव ने यह भी कहा कि कोई चाहे तो आकर स्थल का निरीक्षण कर सकता है और ग्रामीणों से स्वयं बात कर सकता है।
मनदीप चौरे का आरोप है कि गांव वालो को बहला-फुसलाकर मात्र 50 रुपये के स्टांप पर सहमति पत्र बनवाया गया और अब ज़मीन की रजिस्ट्री पंचायत के नाम कराए जाने की तैयारी हो रही है। कुछ समय पहले यह मामला मीडिया में भी सुर्खियों में आया था जिसके बाद पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर ज़मीन सरकार के नाम रजिस्ट्री कराने की जानकारी दी थी। ग्रामीणों ने कलेक्टर से माँग की है कि जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती, रजिस्ट्री की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं बल्कि गाँव के साथ विश्वासघात है जिसकी निष्पक्ष और पारदर्शी जाँच ज़रूरी है ताकि सच सामने आ सके और ज़िम्मेदारों को सजा मिले।
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