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Khairagarh
बेटी बनी बेटा: पांच बेटियों ने निभाया अंतिम फर्ज, अर्थी को दिया कंधा, मुखाग्नि देकर पिता को दी विदाई


Nilesh Yadav
12-06-2025 01:31 PM
खैरागढ़। समाज में आज भी यह रूढ़ धारणा गहराई से बैठी हुई है कि बेटियों का काम घर संभालना होता है और अंतिम संस्कार जैसी रस्में सिर्फ बेटों के हिस्से आती हैं। लेकिन बुधवार को खैरागढ़ के कुम्हारपारा में जो दृश्य सामने आया, उसने इस सोच को झकझोर दिया। यह दृश्य था एक पिता के अंतिम सफर का और उसे कांधों पर लेकर जाने वाली थीं उसकी पांच बेटियां।
हाई स्कूल जोरातराई में लिपिक के पद पर कार्यरत राजेश यादव का बुधवार को इलाज के दौरान भिलाई के पल्स हॉस्पिटल में निधन हो गया। खबर सुनते ही घर में कोहराम मच गया। लेकिन इस बार चिता के सामने कोई बेटा नहीं था बल्कि पांच बेटियों ने अपने पिता को अंतिम विदाई देने की जिम्मेदारी खुद उठाई। बेटियों ने कांपते हाथों और छलकती आंखों से अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और मुक्तिधाम तक ले गईं। किल्लापारा स्थित श्मशान घाट में उन्होंने वह काम किया जिसे अब तक सिर्फ बेटों का अधिकार माना जाता रहा है पांचों बहनों ने मिलकर अपने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। श्मशान घाट पर मौजूद हर आंख नम थी।
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