सुशासन तिहार से जिले में मिले 1 लाख 27 हजार से ज्यादा आवेदन...84 हजार से अधिक मामलों का हुआ निराकरण

डोंगरगढ़ को पर्यटन हब बनाने अध्यक्ष रमन डोंगरे ने कलेक्टर से मांगी 1.20 करोड़ की विकास निधि

ऑटो लाइट विवाद बना खूनी झगड़े की वजह, डोंगरगढ़ पुलिस ने सुलझाई अंधे कत्ल की गुत्थी तीन आरोपियों ने मिलकर दिया घटना को अंजाम, चाकू और ऑटो जब्त

dongargarh

डोंगरगढ़ में 'फुले' फिल्म का अदृश्य प्रदर्शन: न पोस्टर, न बैनर... फिर भी थिएटर हाउसफुल!

Nilesh Yadav

03-05-2025 08:00 AM

डोंगरगढ़ | धर्मनगरी डोंगरगढ़ में आज एक अनोखा सिने-संयोग देखने को मिला। समाज सुधारक महात्मा जोतिराव फुले और क्रांतिकारी शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित फिल्म 'फुले' का प्रदर्शन तो हुआ, लेकिन जिस तरह से यह फिल्म पर्दे पर आई — वह किसी रहस्य से कम नहीं। न सिनेमा हॉल के बाहर पोस्टर नजर आए, न बैनर, और न ही कोई डिजिटल प्रचार की झलक। लेकिन इसके बावजूद श्री सिनेमा का पहला शो हाउसफुल रहा, और टिकटें शो शुरू होने से दो घंटे पहले ही बिक गईं।

यह विरोधाभास अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। क्या यह किसी रणनीतिक प्रचार की नई परिभाषा है, या फिर किसी सामाजिक दबाव का नतीजा?

स्थानीय नागरिकों और बुद्धिजीवियों के बीच चर्चा का विषय यह बन गया है कि आखिर एक ऐसी फिल्म, जो शिक्षा, समानता और महिला सशक्तिकरण जैसे बुनियादी मुद्दों को केंद्र में रखती है, उसके प्रचार से इतना परहेज क्यों? क्या धार्मिक पहचान और सांस्कृतिक छवि को लेकर शहर के कुछ वर्गों ने फिल्म के खुलकर प्रदर्शन को लेकर असहजता जताई है?

एक दर्शक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह फिल्म हमारी सोच बदल सकती है, लेकिन शायद कुछ लोग नहीं चाहते कि ऐसी सोच लोगों तक खुले रूप में पहुंचे।”

जोतिराव और सावित्रीबाई फुले ने 19वीं सदी में जो काम किया, वह आज भी आधुनिक भारत की नींव माने जाते हैं। शिक्षा को सर्वसुलभ बनाना, जातिगत अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और स्त्री सम्मान की अलख जगाना — ये उनके प्रमुख योगदान रहे हैं। ऐसे ऐतिहासिक किरदारों को पर्दे पर लाने वाली फिल्म का ‘गोपनीय’ प्रदर्शन न केवल विडंबना है, बल्कि सांस्कृतिक दबावों की गहराई को भी उजागर करता है।

सिनेमा हॉल प्रबंधन से जब इस संबंध में बात करने की कोशिश की गई, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। सिर्फ इतना कहा गया कि "यह फिल्म दर्शकों की मांग पर लगाई गई है।" लेकिन जब प्रचार-प्रसार से जुड़े सवाल पूछे गए, तो चुप्पी छा गई।

विचारशील वर्ग इसे सांस्कृतिक सेंसरशिप मान रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या डोंगरगढ़ जैसे धार्मिक शहरों में अब वैचारिक विविधता को भी धीरे-धीरे हाशिए पर डाला जा रहा है?

Nilesh Yadav

Comments (0)

Trending News

CHHUIKHADAN

सरपंच की गुंडागर्दी, बांस की लाठी से किसान परिवार पर जानलेवा हमला – FIR दर्ज

BY GANGARAM PATEL 30-04-2025
खैरागढ़ : मामूली विवाद में नाराज होकर किशोरी लापता

Khairagarh

खैरागढ़ : मामूली विवाद में नाराज होकर किशोरी लापता

BY Nilesh Yadav28-04-2025
₹1.19 लाख की अवैध शराब जब्त: खैरागढ़ में तीन गिरफ्तार, स्कूटी व मोबाइल बरामद

Khairagarh

₹1.19 लाख की अवैध शराब जब्त: खैरागढ़ में तीन गिरफ्तार, स्कूटी व मोबाइल बरामद

BY Nilesh Yadav29-04-2025
Latest News

Nilesh Yadav

© Copyright 2024, All Rights Reserved | ♥ By PICCOZONE